Menu
blogid : 2274 postid : 82

बिजली संकट की चिंताएं

social
social
  • 77 Posts
  • 56 Comments

तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था और देश में घरेलु स्तर पर बढ़ती ऊर्जा की मांग ने ऊर्जा संकट की स्थितियों को और भी बढ़ाया है .बीते सोमवार को दिली सहित उत्तर भारत के कई राज्य बिजली संकट की गंभीरता से सामना किये . लगभग 8 घंटे तक बिजली नहीं रहने से दिल्ली मेट्रो सहित कई ट्रेने , औद्योगिक इकाइयां बंद रही . दिली में वर्तमान के बिजली आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए देश की राजधानी पर गर्व नहीं किया जा सकता .पिछ्ले दिनों केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री और योजना योग के साथ सभी राज्यों के बिजली मंत्रियो की एक बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई थी . इस दौरान लगभग सभी राज्यों ने अपने प्रदेश के बिजली संकट के लिए केंद्र सरकार की नीतियों व सुस्ती को जिम्मेदार बताया . अभी हाल ही में केंद्र सरकार के दवाब में करीब 18 राज्यों ने बिजली की दरो को बढाया है और अन्य राज्य इसे बढाने की दिशा में अग्रसर है . राज्यों के बिजली निगमों के घाटे में चलने के बाद एक बार फिर बिजली दरो को बढाने की बात की जा रही है . देश में राज्यों के बिजली वितरण निगम का संयुक्त घटा अब तक करीब 1 .90 लाख का हो चुका है .केंद्र ने राज्यों से कहा है कि यदि वे निर्बाध बिजली आपूर्ति चाहते है तो उन्हें दरो में वृद्धि के साथ ही नए बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए भूमि अधिग्रहण के प्रयास तेज करने होंगे . देश के कई भागो में बिजली संयंत्रो की स्थापना के लिए अपनी जमीन देने से कई राज्य के नागरिक इनकार और विरोध कर रहे है .अतः बिजली संकट के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण भी बना हुआ है . क्योकि जिस दर से बिजली की मांग बनी हुई है उस दर से बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है . देश कला ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जो अपने नागरिको के लिए 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करता हो .साथ ही बिजली की कमी से अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पद रहा है . विगत दिनों विश्व बैंक द्वारा किये गए एक अध्ययन में ऊर्जा की कमी को आर्थिक विकास में बाधक बताया गया था .

बैठक के दौरान सभी राज्यों ने एक सुर में कोयले की वांछित पूर्ति न होने और कई नीतिगत खामियों को बिजली संकट का कारण माना .हरियाणा राज्य ने कहा कि कोयले की कमी , उनकी खराब गुणवत्ता और चीन से आयातित संयंत्र ने प्रदेश में बिजली संकट को गहरा किया है . हरियाणा के हिसार में 1200 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगा है जिसे प्रतिदिन पांच रैक कोयले की जरुरत होती है , जबकि उसे केवल दो रैक ही उपलब्ध हो पाता है . जो कोयला उसे मिलता है उसमे भी करीब 40 प्रतिशत राख मिला होता है जिसे निस्तारित करने में ही प्लांट को काफी खर्च करना पद जाता है . दूसरी ओर हरियाणा में कई संयंत्र चीन द्वारा आयातित है जिसके खराब होने पर भारत में मरम्मत की सुविधा नहीं है , इसे ठीक कराने के लिए चीन भेजना पड़ता है . इन कारणों से प्रदेश में बिजली की दुर्दशा बनी हुई है . इसी प्रकार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की भी यही शिकायत है कि उसे अपेक्षित कोयला नहीं मिल पाता है . प्रदेश में लैंको पावर प्लांट में करीब 600 मेगावाट तथा रोजा पावर प्लांट में 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन कोयले की कमी के कारण नहीं हो पाता है . राज्य की मांग है कि केंद्र सरकार उसे जल्द 26 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए कोल लिंकेज दे क्योकि इसके अभाव में यहाँ की 12 बड़ी बिजली परियोजनाए अधर में लटकी हुई है . बिहार ने भी कोयले की अपनी मांग उठाई है . बिहार में एक मात्र ताप विद्युत प्लांट बरौनी के नवीनीकरण की बात 11 वी पंचवर्षीय योजना के दौरान पूरी करने की बात कही गई थी जिसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका है . राज्य ने परमाणु संयंत्रो को लगाने में केंद्र के अपेक्षित सहयोग न मिलने की बात भी दुहराई .इसके अलावा उतराखंड ने अपनी अलग समस्या जल बिजली परियोजना के लिए उठाई . उनका कहना है कि प्रदेश जल बिजली पर निर्भर है सर्दियों के दिनों में पर्याप्त पानी नहीं होने के कारण राज्य बिजली संकट से घिर जाता है .

इन समस्याओं को देखते हुए केंद्र के लिए बिजली संकट को दूर करना एक बड़ी चुनौती है . हालांकि सरकार ने योजना आयोग से ग्रामीण विद्युतीकरण के मद में 50 हजार करोड़ रुपये की सहायता माँगी है . पिछली योजना के दौरान भी योजना आयोग ने इसके लिए 28 हजार करोड़ रुपये की सहायता दी थी . केंद्र सरकार प्रत्येक गाँव में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रही है . लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इसके तहत गांवो को केवल बिजली के तारो से जोड़ दिया जाता है उन तारो में बिजली का प्रवाह नहीं होता . आज देश गंभीर बिजली संकट से जूझ रहा है . यह केवल एकमात्र भारत की समस्या ही नहीं है . आज पूरा विश्व ऊर्जा संकट से घिरा है .विश्व के तमाम देश अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नए – नए क्षेत्रो को तलाश रहे है या नयी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे है . साथ ही विश्व के विभिन्न देशो के बीच ऊर्जा क्षेत्रो में ऊर्जा प्राप्ति की होड़ ने वैश्विक तनाव को जन्म दिया है . प्राय सभी देशो की ऊर्जा आवश्यकता तेजी से बढ़ती जा रही है . और इसकी पूर्ति के साधन सीमित है और सीमित संसाधनों के व्यापक दोहन के बजाय हमें गैर पारंपरिक स्रोतों की तरफ ध्यान देना होगा .

भारत विश्व में छठा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता राष्ट्र बन चुका है . एशिया में चीन और जापान के बाद यह तेल और गैस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है . भारत की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति कई स्रोतों पर निर्भर है .भारत अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का कोयले से 33 .2 प्रतिशत , जल ऊर्जा से 1 .2 प्रतिशत गैस से 4 .2 प्रतिशत , तेल से 22 .4 प्रतिशत , परमाणु ऊर्जा से 0 .8 प्रतिशत और सौर बायोमॉस व अन्य स्रोतों से 0 .1 प्रतिशत तक करता है .इस प्रकार भारत सीमित संसाधनों का उपयोग ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए अधिक मात्रा में कर रहा है . यही कारण है कि इसे विदेशी आयातों पर जादा निर्भर रहना पड़ रहा है .इस तरह से भारत को काफी मात्रा में व्यय करना पड़ता है . इससे देश में असंतोष भी बढ़ता है जब पेट्रो मूल्यों में वृद्धि होती है .

भारत ने अभी हाल में ही तुर्कमेनिस्तान से अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए गैस पाईपलाइन की परियोजना को स्वीकृति दी है . यह परियोजना 2018 से शुरू होगी तथा अगले 30 वर्षो तक जारी रहेगी . जिसके द्वारा करीब ९ करोड़ घन लीटर गैस प्रतिदिन सप्लाई करने की योजना है . इसमें से 3.80 करोड़ घन लीटर गैस भारत और पाकिस्तान को प्राप्त होंगे तथा शेष 40 लाख घन लीटर अफगानिस्तान को मिलेगा . 1680 किलोमीटर लम्बी इस गैस पाईपलाइन के साकार हो जाने से भारत , अफगानिस्तान और पाकिस्तान को अपनी ऊर्जा चुनौतियों से निपटने में सहूलियत होगी . भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है . जिसका लाभ निःसंदेह मिलेगा .

ऊर्जा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के पास तमाम विकल्प मौजूद है . ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का व्यापक पैमाने पर उपयोग कर हम अपने संसाधनों को बचाने के साथ साथ विदेशी निर्भरता को भी कम कर सकते है . अभी गुजरात राज्य ने पाटन जिले के अंतर्गत चरनका गाव में 218 मेगा हर्ट्ज क्षमता वाले सौर प्लांट की स्थापनी की है . यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा सौर प्लांट है . इसकी एक और खासियत है कि यह एक नाले के ऊपर बनाया गया है . आज जबकि पूरा विश्व ऊर्जा जरूरतों से निपटने के लिए वैश्विक तनाव का शिकार है वैसे में इस तरह के नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत काफी लाभप्रद है .इसी प्रकार बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में धान के भूसे से बिजली उत्पादन की जा रही है . सरकार को इस तरह के नवीन तकनीको को सहायता दी जानी चाहिए . सौर ऊर्जा एक अच्छा विकल्प है परन्तु यह भी इतना महँगा है कि आम आदमी की पहुँच से आज भी दूर है . हम ग्रामीण क्षेत्रो में चल रहे मनरेगा कार्यक्रमों का लाभ इसके लिए ले सकते है . इसके अंतर्गत हम ग्राम स्तर पर सौर प्लांट की इकाई लगा सकते है . साथ ही उपयुक्त भौगोलिक क्षेत्रो में पवन ऊर्जा व जल बिजली की संभावनाए भी खोज सकते है . इस तरह के प्रयासों से हमारी आयात निर्भरता घटेगी , पारिस्थितिकी संतुलन बना रहेगा , पर्यावरण संरक्षण किया जा सकेगा . परमाणु ऊर्जा भी एक विकल्प हो सकता है लेकिन जापान के सभी परमाणु संयंत्रो को बंद करने का उदाहरण इस दिशा में हतोत्साहित करने वाला है . इसकी सुरक्षा को लेकर भी अभी अनिश्चितता बनी हुई है .

देश में बिजली चोरी की घटनाएं आम है इससे करीब 30 से 50 प्रतिशत तक की बिजली की क्षति होती है .हमें पर्याप्त निगरानी व नियंत्रण करने के लिए कार्य करने होंगे ताकि बिजली चोरी की घटनाओं को रोका जा सके . इसके लिए देशवासियों को भी नैतिक रूप से जागरूक होना होगा . इसके अलावा हमारे पास जो भी संयंत्र है उनका हम पूर्णतः दोहन नहीं कर पाते है . एक तो वे मशीने पुरानी है दूसरी ओर हमारे पास उनके दोहन के लिए पर्याप्त कुशलता नहीं है . हमें इस दिशा में बेहतर उपाय करने होंगे . कोयले की पर्याप्त उपलब्धता के साथ ही हमें वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तरफ ध्यान देना होगा . साथ ही इसके लिए भूमि अधिग्रहण के लिए नए तरीके व जमीन मालिको को विश्वास में लेना जरुरी है .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh